देवी माँ दुर्गा की आराधना का पर्व माने जाने वाले नवरात्रि हर साल दो बार मनाया जाता है- एक बार वसंत ऋतु में और दूसरी बार शरद ऋतु में। आमतौर पर लोग शारदीय नवरात्रि के बारे में ज़्यादा जानते हैं, लेकिन मार्च-अप्रैल में पड़ने वाले चैत्र नवरात्रि को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस ब्लॉग में हम मार्च में पड़ने वाले नवरात्रि के विशेष महत्व, इसकी परंपराओं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आध्यात्मिक लाभों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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मार्च में आने वाले नवरात्रि की तिथियाँ (2025)
चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथियां इस प्रकार हैं:
दिनांक | दिन | पर्व |
---|---|---|
30 मार्च 2025 | रविवार | नवरात्रि प्रतिपदा (घटस्थापना) |
31 मार्च 2025 | सोमवार | द्वितीया |
1 अप्रैल 2025 | मंगलवार | तृतीया |
2 अप्रैल 2025 | बुधवार | चतुर्थी |
3 अप्रैल 2025 | गुरुवार | पंचमी |
4 अप्रैल 2025 | शुक्रवार | षष्ठी |
5 अप्रैल 2025 | शनिवार | सप्तमी |
6 अप्रैल 2025 | रविवार | अष्टमी (महाअष्टमी, दुर्गाष्टमी, कन्या पूजन) |
7 अप्रैल 2025 | सोमवार | नवमी (राम नवमी) |
8 अप्रैल 2025 | मंगलवार | दशमी (व्रत पारण) |
मार्च में आने वाले नवरात्रि का महत्व

मार्च में पड़ने वाली नवरात्रि को ‘चैत्र नवरात्रि’ कहा जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है। इस नवरात्रि का बहुत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, क्योंकि यह भगवान राम के जन्मोत्सव ‘राम नवमी’ से भी जुड़ी हुई है। इस समय प्रकृति को भी नया जीवन मिलता है, जो इसे और भी खास बनाता है।
नवरात्रि की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षस राजा महिषासुर ने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया था, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मिलकर देवी दुर्गा का आह्वान किया था। माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध करके देवताओं को उनके स्थान पर पुनः स्थापित किया था। इसी कारण नवरात्रि को शक्ति की पूजा के रूप में मनाया जाता है।
नौ दिनों का महत्व और देवी का स्वरूप

चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है:
दिन | देवी का नाम | विशेषता |
1 | शैलपुत्री | पर्वतराज हिमालय की पुत्री, जिनकी पूजा से जीवन में स्थिरता आती है। |
2 | ब्रह्मचारिणी | तपस्या का प्रतीक, जो आत्म-नियंत्रण और धैर्य प्रदान करती है। |
3 | चंद्रघंटा | वीरता और बहादुरी का प्रतीक, जो जीवन में साहस लाता है। |
4 | कूष्मांडा | ब्रह्मांड की निर्माता, जो ऊर्जा का संचार करती है। |
5 | स्कंदमाता | भगवान कार्तिकेय की माता, जो भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं। |
6 | कात्यायनी | महर्षि कात्यायन की पुत्री, जो दुष्टों का नाश करती हैं। |
7 | कालरात्रि | अंधकार का नाश करने वाली, जो भय से मुक्त करती हैं। |
8 | महागौरी | सुंदरता और शांति का प्रतीक, जो पवित्रता लाती हैं। |
9 | सिद्धिदात्री | सिद्धियों की दाता, जो ज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाती है। |
नवरात्रि के दौरान व्रत और पूजा विधि
नवरात्रि के दौरान भक्तजन व्रत रखते हैं और श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं। पूजा की विधि इस प्रकार है:
1. स्नान और शुद्धिकरण: प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. कलश स्थापना: एक मिट्टी के पात्र में जौ बोकर उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
3. माँ दुर्गा की पूजा: माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर पूजा करें।
4. दुर्गा सप्तशती पाठ: माँ दुर्गा के विभिन्न स्तोत्रों का पाठ करें।
5. भोग अर्पण: फलों, दूध, पंचामृत, और विशेष रूप से सात्विक भोजन का भोग लगाएं।
6. आरती करें: सुबह-शाम माँ दुर्गा की आरती करें।
7. नवरात्रि व्रत का पालन: व्रत में फलाहार करें और अन्न ग्रहण न करें।
8. कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
9. हवन: नवमी के दिन हवन करें और उसे देवी को समर्पित करें।
10. व्रत पारणा: दशमी के दिन विधि-विधान से व्रत का समापन करें।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि ऋतु परिवर्तन का समय है, जब सर्दी खत्म होकर गर्मी का मौसम आता है। इस दौरान व्रत रखने से शरीर शुद्ध होता है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। व्रत रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सात्विक भोजन करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। ध्यान और साधना से मानसिक शांति और ऊर्जा मिलती है। साथ ही इस दौरान सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति अधिक आत्मविश्वासी और ऊर्जा से भरपूर रहता है।
नवरात्रि के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल एवं शक्तिपीठ
नवरात्रि के दौरान देश भर के कई प्रसिद्ध शक्तिपीठों और मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं। यहाँ भारत के 15 प्रमुख देवी मंदिरों की सूची दी गई है, जो नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं:
मंदिर का नाम | स्थान |
वैष्णो देवी मंदिर | जम्मू-कश्मीर |
कालिका माता मंदिर | पावागढ़, गुजरात |
दुर्गा मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
अम्बाजी मंदिर | बनासकांठा, गुजरात |
चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश |
दक्षिणेश्वरी माँ काली मंदिर | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
कामाख्या देवी मंदिर | गुवाहाटी, असम |
ज्वालामुखी मंदिर | हिमाचल प्रदेश |
त्रिपुरसुंदरी मंदिर | त्रिपुरा |
महाकाली मंदिर | उज्जैन, मध्य प्रदेश |
महालक्ष्मी मंदिर | कोल्हापुर, महाराष्ट्र |
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर | महाराष्ट्र |
ललिता देवी मंदिर | प्रयागराज, उत्तर प्रदेश |
नैना देवी मंदिर | हिमाचल प्रदेश |
मीनाक्षी मंदिर | मदुरै, तमिलनाडु |
नवरात्रि के दौरान इन मंदिरों में विशेष पूजा और धार्मिक आयोजन होते हैं, जिनमें लाखों श्रद्धालु आते हैं।
निष्कर्ष
मार्च में पड़ने वाले चैत्र नवरात्रि का न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्व है, बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह अत्यंत लाभकारी है। इस समय की गई पूजा और साधना व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, ऊर्जा और सफलता लाती है। यह पर्व हमें आत्मनिरीक्षण, शुद्धि और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
इसके अलावा व्रत और साधना के दौरान शरीर और मन की शुद्धि होती है, जिससे मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है। इस समय प्रकृति भी परिवर्तनशील होती है, जिससे ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। नवरात्रि हमें संयम, त्याग और शक्ति की आराधना करने का अवसर देती है।
इस नवरात्रि माँ दुर्गा की पूजा करें और अपने जीवन को आध्यात्मिकता और सकारात्मकता से भरें।
जय माता दी। हिंदी DailyNews