कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 2025: जाने कब और कैसे करें कन्या पूजन

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 2025: भारत सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं वाला देश है, जहाँ विभिन्न त्यौहार और उत्सव मनाए जाते हैं। नवरात्रि का त्यौहार विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। इस दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जो महानवमी या अष्टमी के दिन किया जाता है। इस ब्लॉग में हम कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त, इसकी विधि, महत्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से जानेंगे।


कन्या पूजन का महत्व

कन्या पूजन भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे शक्ति पूजा के रूप में देखा जाता है। हिंदू धर्म में लड़कियों को देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतीक माना जाता है। इस पूजा के माध्यम से न केवल दैवीय कृपा प्राप्त होती है, बल्कि यह हमारे समाज में नारी शक्ति के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक भी है।

धार्मिक मान्यता:

  • स्कंद पुराण और देवी भागवत में उल्लेख है कि महिषासुर का वध करने के बाद मां दुर्गा ने नौ कन्याओं के रूप में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए थे।
  • नवदुर्गा के नौ स्वरूपों के प्रतीक के रूप में इन कन्याओं की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • मान्यता है कि कन्याओं की पूजा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और सुख, समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद देती हैं।

सामाजिक परिप्रेक्ष्य:

  • कन्या पूजन समाज में महिलाओं के सम्मान और महत्व को दर्शाता है।
  • यह प्रथा कन्याओं को देवी का रूप मानती है और उन्हें उचित सम्मान और प्यार देने की प्रेरणा देती है।

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 2025

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। वर्ष 2025 में कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

अष्टमी तिथि: 5 अक्टूबर 2025 (रविवार)

  • प्रारंभ: 5 अक्टूबर को सुबह 06:20 बजे
  • समाप्त: 6 अक्टूबर को सुबह 04:45 बजे
  • पूजन का सर्वोत्तम समय: 5 अक्टूबर को सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

नवमी तिथि: 6 अक्टूबर 2025 (सोमवार)

  • प्रारंभ: 6 अक्टूबर को सुबह 04:45 बजे
  • समाप्त: 7 अक्टूबर को सुबह 03:10 बजे
  • पूजन का सर्वोत्तम समय: 6 अक्टूबर को सुबह 10:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक

यदि कोई भक्त नवमी पर भी पूजन करना चाहता है, तो वह नवमी के दिन दोपहर तक कन्या पूजन कर सकता है।

कन्या पूजन की विधि

कन्या पूजन

1. कन्याओं का चयन

  • आमतौर पर 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं को पूजा के लिए आमंत्रित किया जाता है।
  • 9 कन्याओं के साथ एक बालक (भैरव) की पूजा करने की परंपरा है।

2. पूजा की तैयारी

  • घर की सफाई करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  • माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • कन्याओं के बैठने के लिए स्वच्छ और सुगंधित स्थान तैयार करें।

3. पूजा विधि

  • कन्याओं के पैर धोकर उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएँ।
  • रोली, अक्षत और फूल चढ़ाएँ और उन्हें तिलक लगाएँ।
  • देवी माँ के मंत्रों का उच्चारण करें: “या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”।
  • कन्याओं को प्रसाद के रूप में हलवा, पूरी और चना खिलाएँ।
  • अंत में कन्याओं को दक्षिणा दें और उनका आशीर्वाद लें।

कन्या पूजन करते समय इन महत्वपूर्ण बातों का रखें विशेष ध्यान

कन्या पूजन करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि पूजन विधि पूर्ण रूप से संपन्न हो और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त हो।

  • सम्मान और स्नेह: कन्याओं को देवी मानकर उनका पूरे सम्मान और प्रेम से पूजन करें।
  • पवित्रता का ध्यान: पूजा स्थल और सामग्री की पवित्रता बनाए रखें, ताकि सात्विकता बनी रहे।
  • स्वच्छ और पौष्टिक भोजन: हलवा, पूरी, चने का भोग पूरी पवित्रता और भक्ति भाव से बनाएं।
  • उपहार और दक्षिणा: कन्याओं को वस्त्र, उपहार और दक्षिणा देकर उनका सम्मान करें और उनका आशीर्वाद लें।
  • सरल और सरल आयोजन: दिखावे से दूर रहकर भक्ति और सादगी के साथ पूजा करें।

निष्कर्ष

कन्या पूजन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और नैतिक मूल्यों को संजोने का भी एक तरीका है। यह परंपरा हमें नारी शक्ति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देती है। अगर इसे सही भावना और श्रद्धा के साथ किया जाए तो यह न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी लाभकारी साबित होता है। तो इस साल नवरात्रि पर सही तरीके और शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन करें और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करें।

जय माता दी। हिंदी DailyNews

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